वास्तु टिप्स: ऑफिस की फ्लोरिंग कैसी होनी चाहिए

वर्तमान समय में हर कोई पूरी सुख-सुविधाओं का आनंद लेना चाहता है। हर किसी के मन में भौतिक सुखों की कामना होती है। परंतु कुछ कारणों एवं कमियों की वजह से सुख-सुविधाओं में कमी देखने को मिलती है। उसमें से एक कारण होता है आपका वास्तु। क्योंकि यदि आप वास्तु के नियमों का पालन करते […]

वास्तु टिप्स: ऑफिस की फ्लोरिंग कैसी होनी चाहिए
वास्तु टिप्स: ऑफिस की फ्लोरिंग कैसी होनी चाहिए

वर्तमान समय में हर कोई पूरी सुख-सुविधाओं का आनंद लेना चाहता है। हर किसी के मन में भौतिक सुखों की कामना होती है। परंतु कुछ कारणों एवं कमियों की वजह से सुख-सुविधाओं में कमी देखने को मिलती है। उसमें से एक कारण होता है आपका वास्तु। क्योंकि यदि आप वास्तु के नियमों का पालन करते हैं। तो सफलता और धन की प्राप्ति बिना किसी बाधा के पूरी हो जाती है।
आज हम अपने आर्टिकल में बात कर रहें है। ऑफिस की फर्श (फ्लोरिंग) के बारें में। कि ऑफिस की फ्लोरिंग कैसी होना चाहिए। जिससे ऑफिस के काम बिना किसी समस्या के आसानी से पूर्ण हो सके।

ऑफिस की फ्लोरिंग से संबंधित नियमों का पालन करने से धन लाभ में वृद्धि और बुरे प्रभावों से बचा जा सकता है ।

ऑफिस के मुख्य चौखट का फर्श टूटा नही होना चाहिए। क्योंकि यह ऑफिस की खुशहाली को प्रभावित कर सकता है। और हानि का सामना करना पड़ सकता है।

यदि आपने ऑफिस की दीवारों में डार्क रंग का चयन किया है। तो फर्श (फ्लोरिंग) में सफेद मार्बल का प्रयोग करना चाहिए। यह कलर कंबिनेशन ऑफिस में होने वाले नुकसानों से बचाता है।

ऑफिस की फर्श में अधिक गहरे कलर के कार्पेट उपयोग में न लाएं। ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। ऐसे रंग की फ्लोरिंग सुख-शांति में बाधा बनती है।

ऑफिस की दक्षिण दिशा तथा अग्नि कोण के कोने में फ्लोरिंग नेचुरल लाल स्टोन (Natural Red stone) की होनी चाहिेए। इस प्रकार के रंग ऑफिस को प्रसिद्धी और ऑफिस के अधिकारियों तथा मालिक के मान-सम्मान में वृद्धि करता है।

नेचुरल स्टोन को आप ऑफिस में कहीं पर लगवा सकते है। क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करते है।

ऑफिस के दरवाजे के सामने (बाहर का) फर्श टुटा हुआ नही होना चाहिए ।

ऑफिस का दक्षिण दिशा का फर्श ऊँचा होना चाहिए । अग्नि से नैर्ऋत्य का फर्श ऊँचा होना चाहिए एवं ईशान का फर्श सबसे नीचा होना चाहिए।

ब्रह्मस्थान का फर्श किसी भी स्थिति में नीचा नही होना चाहिए। यह कार्य व व्यापार का नाश करता है।

दक्षिण-पश्चिम का फर्श नीचे होने से व्यापार में स्थिरता नही आती तथा पैसा डूब जाता है।

ईशान का फर्श ऊँचा होने पर अधिक समस्या रहती है और व्यापार नाश होता है।

उत्तर का फर्श ऊँचा होने पर पैसों की निरंतर समस्या रहती है।

अग्निकोण के फर्श में खराबी होने पर कर्मचारियों में असंतुष्टी रहती है।

पश्चिम की दिशा का फर्श खराब होने पर योग्य व्यक्तियों की कमी रहती है।

प्रत्येक केबिन की skirting (स्कर्टिंग) 90 डिग्री में होनी चाहिए।

अगर संभव हो सके तो मुख्य केबिन की स्कर्टिंग (skirting) को नाप में शेरमुखी बनाना चाहिए।

ऑफिस का फर्श सीढ़ीनुमा नही बनाना चाहिए।

दक्षिण-पश्चिम का फर्श खोखला नहीं होना चाहिए। यानि उसमें आवाज नही आनी चाहिए। अगर आती है तो तुरंत ठीक कराएं।

अगर किसी कारणवश फर्श बैठ जाती है। तो तुरंत ठीक कराएं।

वुडनफ्लोरिंग लगाते समय ध्यान रखना चाहिए। कि दक्षिण-पश्चिम का फर्श नीचा नही जावे। वास्तुविद् - रविन्द्र दाधीच

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