दुनिया में सबसे अधिक अनुवादित मानी जाने वाली फिल्म ‘साल्वेशन (मोक्ष), भारत में लॉन्च हुई

20 मई 2024, नई दिल्ली : दुनिया में संभवतः सबसे अधिक अनुवादित तथा ब्रिटिश मूल के लेखक और निर्माता चार्ल्स डोबारा (https://charlesdobara.com/) की पहली फिल्म साल्वेशन (मोक्ष) का आज भारत में औपचारिक लॉन्चिंग हुआ। थरुन मोहन द्वारा निर्देशित साल्वेशन (मोक्ष) डोबारा की कहानी है जो भारत, मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका और सोमालिया के लोगों का […]

दुनिया में सबसे अधिक अनुवादित मानी जाने वाली फिल्म ‘साल्वेशन (मोक्ष), भारत में लॉन्च हुई
दुनिया में सबसे अधिक अनुवादित मानी जाने वाली फिल्म ‘साल्वेशन (मोक्ष), भारत में लॉन्च हुई
20 मई 2024, नई दिल्ली : दुनिया में संभवतः सबसे अधिक अनुवादित तथा ब्रिटिश मूल के लेखक और निर्माता चार्ल्स डोबारा (https://charlesdobara.com/) की पहली फिल्म साल्वेशन (मोक्ष) का आज भारत में औपचारिक लॉन्चिंग हुआ।
थरुन मोहन द्वारा निर्देशित साल्वेशन (मोक्ष) डोबारा की कहानी है जो भारत, मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका और सोमालिया के लोगों का सामना करते है, जो उनकी पूर्व धारणाओं को चुनौती देते हैं और हिंदी, उर्दू, तीन अलग-अलग अरबी बोलियाँ और सोमाली बोलते हैं।
जैसे-जैसे यह फिल्म आगे बढ़ती है, ये लोग उनसे सवाल करते हैं कि, उन्होंने इस गैर-लाभकारी प्रोजेक्ट के लिए अपना जीवन क्यों समर्पित किया है? फिर अंत में लंदन के एक मंदिर में शुद्ध हिंदी में, वह हमें फिल्म बनाने का कारण और क्यों उन्होंने अपना जीवन सेवा के लिए समर्पित कर दिया, इसकी पूरी जानकारी देते हैं। डोबारा को अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड तथा समग्र अफ्रीका महाद्वीप में पहाड़ी जनजातियों के लोग मिलें, जो उन्हें लिपि का अपनी भाषा में अनुवाद करने के लिए राजी व प्रेरित करते हैं।
इनमें से कई भाषाएं संयुक्त राष्ट्र की लुप्तप्राय भाषाओं की सूची में शामिल हैं और यह पहली बार है कि, उन्हें किसी अंतर्राष्ट्रीय फीचर फिल्म में दिखाया गया है। यह अनुवाद यूट्यूब अपलोड पर उपलब्ध हैं, जिसे डोबारा ने एक अमुद्रीकृत वीडियो के रूप में आज उपलब्ध कराया है, ताकि हम किसी भी विज्ञापन से बाधित न हों। किन्तु पांच अंतरराष्ट्रीय स्ट्रीमिंग सेवाओं ने पहले ही अपने ग्राहकों के देखने के लिए साल्वेशन को अपलोड कर दिया है।
यह फिल्म, ये बताती है कि, कैसे इंग्लैंड में जन्मे और पढ़े-लिखे डोबारा, एक ऐसी घटना में शामिल थे, जिसने उन्हें सेवा के जीवन की ओर सफर पर भेजा दिया। 15 वर्षों की अवधि के दौरान, उन्होंने हिंदी, उर्दू, गुजराती, पंजाबी, तेलुगु, मलयालम, बांग्ला और तमिल सीखी है। उन्होंने कभी भारत का दौरा नहीं किया और फिर भी वे उनमें से कुछ भाषा साल्वेशन में और कुछ लंदन की सड़कों पर बनाई गई इंस्टाग्राम रीलों में बोलते हैं।
चार्ल्स डोबारा ने कहा, “मैंने अपना जीवन भारतीय लोगों की सेवा के लिए समर्पित किया है। साल्वेशन में, मैं अपनी कहानी का एक हिस्सा बताता हूँ और दूसरी फिल्म बनाऊंगा, जिसमें बाकी की बात बताऊंगा, और इसके बाद मैं क्या करूंगा? इसका निर्णय भारतीय लोगों लेना है।”
यह फिल्म यहां निःशुल्क देखी जा सकती है: https://www.youtube.com/watch?v=jOGvkd4t8Fw 
थरुन मोहन के बारे में जानकारी:
थरुन मोहन लंदन के एक लेखक, निर्देशक, निर्माता हैं, उनके निर्देशन क्रेडिट में फीचर फिल्म ‘द डार्कनेस'(पिछला शीर्षक: दोरचा) (2021), ‘ए पर्गेटरी स्टेट ऑफ माइंड’, ‘द बेबी’ और अन्य क्रेडिट में एबीसी टीवी श्रृंखला ‘एज ऑफ द लिविंग डेड’, फीचर फिल्म ‘हाउस ऑफ ब्रिक्स'(2019) और फीचर ‘चेजिंग शैडोज'(2020) शामिल है। द डार्कनेस को GMA 2021 में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के रूप में नामांकित किया गया था।